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"मेरा मुँह देखने से पहले, मुझे मुँह दिखाई देनी पड़ेगी।"

एक आलिशान कमरा था, जो बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया था। चारों ओर मोमबत्तियों की जगमगाती रोशनी फैली हुई थी और गुलाब के फूलों की महक ने कमरे को बेहद ख़ुशनुमा बना दिया था। कमरे का हर कोना जैसे किसी खास पल का गवाह बनने के लिए सजा हो।

कमरे के बीचोंबीच एक गोल आकार का बिस्तर था, जो अत्यंत सुंदरता से सजाया गया था। उसी पर एक नवविवाहिता दुल्हन बैठी थी — लाल रंग के भारी जोड़े में सजी हुई, नाज़ुक श्रृंगार से सजी-संवरी, अपने चेहरे को घूंघट से ढके हुए। वह एकदम शांत बैठी थी, जैसे किसी सपने की रानी।

तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और एक शख़्स अंदर दाख़िल हुआ। सफेद रंग की शर्ट, काली पैंट और हाथों में काले रंग की कोट थामे हुए। वह बेहद हैंडसम और चार्मिंग लग रहा था। जी हाँ, वह इस कहानी का हीरो — निशांत रॉय था। बिज़नेस की दुनिया में उसका नाम बड़े अदब से लिया जाता था। वह एक बहुत बड़ा और सफल व्यापारी था।

निशांत ने कमरे में प्रवेश करते ही चारों ओर नज़र दौड़ाई। उसका साधारण सा कमरा आज फूलों से सजा हुआ था, हर कोना महक रहा था। कमरे में फैली महकती खुशबू उसके दिल को अजीब सा सुकून दे रही थी। उसकी नज़र बिस्तर पर पड़ी, जहाँ लाल रंग के जोड़े में बैठी उसकी दुल्हन नजर आई। उसे एक झलक देखकर ही निशांत के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।

वह धीरे से सोफे की ओर बढ़ा, अपनी कोट को वहीं रखा और खुद सोफे पर बैठ गया। फिर उसने अपने जूते उतारे और थोड़ी देर बाद बिस्तर की ओर बढ़ा।

बिस्तर के पास पहुँचते ही उसने अपने हाथों से फूलों की सजावट को धीरे-धीरे हटाया, जो बिस्तर के चारों ओर खूबसूरती से लगाई गई थी। फिर वह बिस्तर पर बैठ गया और अपनी दुल्हन के सामने हाथ बढ़ाया ताकि उसका घूंघट उठा सके।

जैसे ही उसने घूंघट को अपने हाथ में लेकर उठाने की कोशिश की, उसकी दुल्हन ने उसका हाथ पकड़कर रोक दिया।

उसने चुपचाप अपना मोबाइल फोन आगे बढ़ाया। स्क्रीन पर लिखा था—

"मेरा मुँह देखने से पहले, मुझे मुँह दिखाई देनी पड़ेगी।"

ये पढ़कर निशांत मुस्कुरा दिया। वह सचमुच भूल गया था, लेकिन उसे यह रस्म पहले से बताई गई थी, इसलिए वह पहले से ही तैयार था।

उसने बिस्तर के साइड में रखी दराज़ खोली और उसमें से एक सुंदर डिब्बा निकाला। उसमें एक बहुत ही ख़ूबसूरत ब्रैसलेट रखा हुआ था। निशांत ने डिब्बा खोला, ब्रैसलेट निकाला और प्यार से उसकी दुल्हन का हाथ पकड़कर वह तोहफ़ा पहना दिया।

यह देखकर उसकी दुल्हन — जिसका नाम महम था — थोड़ी सी मुस्कुराई। उसे वह तोहफ़ा बेहद ख़ूबसूरत लगा।

अब निशांत ने धीरे-धीरे घूंघट उठाया।

जैसे ही उसने घूंघट उठाया और उसका चेहरा देखा — वह देखता ही रह गया। उसकी दुल्हन इतनी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी कि वह एक पल के लिए भी अपनी पलकें नहीं झपका सका। वह कई क्षणों तक उसे निहारता रहा।

उसकी गहरी नज़रों से महम शरमा गई। उसने झेंपकर अपनी नज़रें नीचे कर लीं और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। उसकी साँसें थोड़ी तेज़ चलने लगीं। वो निशांत की उस नज़रों की तपिश को सह नहीं पा रही थी।

लेकिन निशांत अब भी उसे निहारता रहा।

फिर उसने धीरे से अपना हाथ उसके गालों पर रखा, और उसके नथ को निकाल दिया। उसके बाद, उसने बेहद प्यार और नर्मी

से उसके होंठों को चूम लिया।

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Maham Khan

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Maham Khan

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